भारत विविधताओं का देश है जहां पर विभिन्न मान्यताओं और विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं।
भारतीय समाज में मेलों का बड़ा महत्व हैं | यही वजह है कि यहाँ हर समय कही न कही मेलों का आयोजन अवश्य ही होता हैं |
मेले कई प्रकार के होते है जिनमे कुछ धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक महत्व के होते हैं | लेकिन क्या आपने कभी सांपों के मेले के बारे में सुना है?
सांपों के इस मेले में जाने से पहले लोग मां भगवती के मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं | ढोल-बाजे के साथ सभी गंडक नदी तक पहुंचते हैं | बहुत से लोगों का मानना है कि इस तरह से मांगी हुई सारी मन्नतें पूरी हो सकती हैं | मेला खत्म हो जाने के बाद में इन सांपों को सुरक्षित जगह पर छोड़ दिया जाता है | इस मेले में भक्तों का उत्साह वाकई में देखने वाला होता है | जैसे ही नदी से सांपों को बाहर निकाला जाता है, सभी भक्त खुशी से ताली बजाने लगते हैं | आपको जानकर हैरानी होगी कि सांपों को न केवल हाथों से बल्कि मुंह से पकड़कर भी निकाला जाता है | इस तरह का नजारा देखकर कोई भी हक्का-बक्का रह जाएगा | ऐसा माना जाता है कि ये मेला 300 सालों से मनाया जा रहा है |
मेले में आता है श्रद्धालुओं का हुजूम :
भारत में बहुत से लोग नाग देवता को मानते हैं और उनकी पूजा भी करते हैं | ऐसे में इस मेले के साथ बहुत से लोगों की आस्था भी जुड़ी हुई है | इसी के चलते अनोखे सांपों के इस मेले में जाना शुभ भी माना जाता है | इस अनोखे मेले में कई भक्त आते हैं और नदी में डुबकी लगाकर सांपों को ढूंढते हैं | ये मेला हर साल लगाया जाता है और अक्सर इस मेले में श्रद्धालुओं की अच्छी खासी भीड़ देखी जाती है |
नदी से निकाले जाते हैं अलग – अलग प्रजाति के सांप :
नदी से कई तरह की प्रजातियों के सांपों को बाहर निकाला जाता है | आप ऐसी बहुत सी जगहों के बारे में जानते होंगे जहां पर जाकर आप जो भी मान्यता मांगे, तो वो पूरी हो जाती होंगी | ऐसा ही कुछ बिहार के इस प्रसिद्ध मेले के लिए भी कहा जाता है | बता दें कि ये मेला बिहार के समस्तीपुर में नागपंचमी के दिन लगता है |