श्रवण कुमार हिन्दू धर्म ग्रंथ रामायण में उल्लेखित पात्र है, ये अपने माता पिता से अतुलनीय प्रेम के लिए जाने जाते हैं। आपने श्रवण कुमार के बारे में पाँचवी या छठी कक्षा में पढ़ा होगा। और जब हम ऐसे चरित्र के बारे में पढ़ते हैं जो औरों के लिये जीते हैं और मरते हैं तो उनके प्रति स्वत: ही आदर हो जाता है । ऐसा ही कुछ श्रवण कुमार के लिए है। और लोग विषेश कर इन्हीं के चरित्र से ज़्यादा प्रभावित हुआ करते हैं और कुछ तो सोचा करते होंगे कि वो भी अपने माता पिता की सेवा करूँ ऐसे ही प्यार से आदर से जैसे श्रवण कुमार ने की । ऐसा ही कुछ वीडियो आजकल सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें 2 बच्चे अपनी बूढ़ी माँ का सपना पूरा करने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं |
दिल को छू लेने वाला है वीडियो :
वायरल होते इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि केरल के दो बेटों ने अपनी बूढ़ी माँ को अपने कंधों पर उठा लिया और उनके सपने को पूरा करने के लिए एक खड़ी पहाड़ी पर चढ़ गए, जो पश्चिमी घाट में एक दुर्लभ फूल नीलकुरिंजी को देखने के लिए था | यह घटना केरल के कोट्टायम जिले के मुत्तुचिरा की है | एलिकुट्टी पॉल, जिनकी उम्र लगभग 87 साल होगी, उन्होंने अपने बेटों के सामने इडुक्की के पड़ोसी जिले में खिले दुर्लभ फूलों को देखने की इच्छा जाहिर करती हैं | हालांकि, एलिकुट्टी पॉल को उम्र संबंधी बीमारियाँ हैं, जिसकी वजह से वह ठीक ढंग से ऊंचाई या पहाड़ों पर नहीं चढ़ सकतीं है |
कहा जाता है कि यह फूल 12 सालों में केवल एक बार ही खिलता है | नीलकुरिंजी एक दुर्लभ फूल है जो पश्चिमी घाट में पाया जाता है |
100 किलोमीटर का सफर जीप से किया तय :
अपनी मां की इच्छा जाहिर करते ही बिना कुछ सोचे ही उनके बेटे जिनका नाम रोजन और सत्यन है, उन्हें एक जीप से मुन्नार के पास कालीपारा पहाड़ियों तक पहुंचने के लिए करीब 100 किलोमीटर की यात्रा की | लेकिन वहाँ पहुंचने के बाद ही परिवार को पता चला कि पहाड़ी की चोटी पर चलने योग्य सड़कें नहीं हैं | अर्थात आगे की यात्रा पैदल करनी पड़ेगी |लेकिन वे अपनी माँ के सपने को छोड़ना नहीं चाहते थे, इसलिए दोनों बेटों ने अपनी बुजुर्ग माँ को अपने कंधों पर उठा लिया और पहाड़ी की चोटी पर लगभग 1.5 किमी की चढ़ाई की, जो नीलकुरिंजी फूलों के साथ बैंगनी रंग के मैदान में बदल गई |
इस तरह से दोनों बेटों ने अपनी माँ का सपना पूरा किया |